
वैसे अगर तमिलनाडु की राजनीति की बात की जाए तो वहां रातोंरात किसी फिल्मी सितारे के राजनीति के आकाश पर छा जाने की कहानी नई नहीं है. एमजी रामचंद्रन से लेकर करुणानिधि और जयललिता तक सभी तमिल रूपहले पर्दे पर आए. तमिलनाडु की राजनीति में राज किया. अब रजनीकांत भी उसी नक्शेकदम पर हैं. अगर वो चुनाव लड़ें और रातोंरात सियासत में भी हीरो बन जाएं तो अचरज नहीं होना चाहिए.
दक्षिण भारत में रजनीकांत का जादू चलता है. उन्हें लेकर गजब का क्रेज है. सैकड़ों, हजारों फैन क्लब हैं. ऐसे में उनके राजनीति में आने और गंभीरता से नोटिस लिए जाने में कोई अनोखी बात नहीं है. हालांकि ये भी कहना चाहिए कि रजनीकांत ने अब जबकि जाहिर कर दिया है कि वो 31 दिसंबर को अपनी नई राजनीति पार्टी का ऐलान करने वाले हैं तो ये तय है कि इसकी टाइमिंग राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए ही है.
03 साल पहले कहा था सियासत में आएंगेवर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद उन्होंने घोषणा की थी कि वो जल्द ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश लेंगे. इसके साथ ही रजनी मक्कल मंद्रम नाम से एक संगठन की भी शुरुआत की थी. रजनीकांत को लगता है कि जयललिता और करुणानिधि के नहीं होने से तमिलनाडु की राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है. लिहाजा विधानसभा चुनावों में उनके लिए काफी अच्छे अवसर होंगे.
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अपने संगठन के जरिए मजबूत करते रहे हैं सियासी जमीन
वैसे रजनीकांत का ये सोचना गलत भी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वो एकझटके में सियासत में उतरने वाले हैं, उसके लिए अभी उनकी तैयारी भी नहीं है. दरअसल तीन सालों से अपने संगठन के जरिए वो संभावित सियासी पार्टी की जमीन ही मजबूत कर रहे थे. कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे. जिला इकाइयां बना रहे थे. सियासी हवा को तौल रहे थे. इस बीच उन्होंने कई बार कई मुद्दों पर खुलकर बीजेपी का साथ भी दिया, मसलन नोटबंदी और कश्मीर का मामला.
बड़ी हलचल पैदा कर सकते हैं
मौजूदा हाल में तमिलनाडु की राजनीति में उन करिश्माई चेहरों की कमी है, जो एक जमाने में एमजी रामचंद्रन, करुणानिधि और जयललिता के इर्दगिर्द धूमती हुई लगती थी. अब ये तीनों ही चेहरे नहीं हैं. तीनों का निधन हो चुका है. डीएमके के पास तो तब भी स्तालिन के तौर पर एक तेजतर्रार चेहरा है लेकिन एआईएडीएमके डांवाडोल में है. बीजेपी लगातार इस राज्य में पकड़ बनाने की कोशिश में है. ऐसे में लगता है कि रजनीकांत अगर चुनावों में कूदते हैं तो बड़ी हलचल पैदा कर सकते हैं. हालांकि एक और फिल्मी सितारे कमल हासन ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
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बचपन में कुली से लेकर सुपरस्टार तक का सफर
रजनीकांत का बचपन में कुली से लेकर बस कंडक्टर और फिर सुपरस्टार बनने तक का सफर कमाल का रहा है. अब उनकी उम्र 70 साल की हो रही है. उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है. हालांकि जिंदगी रजनीकांत के लिए कभी आसान नहीं रही. शुरु में तो उन्होंने बहुत खराब दिन देखे. पांच साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया. मां के निधन के बाद इस परिवार के लिए घर चलाना इतना आसान नहीं था. रजनीकांत ने घर चलाने के लिए कुली तक का काम किया. सुपरस्टार बनने से पहले रजनीकांत बस कंडक्टर थे.
शुरु में निगेटिव रोल किए फिर हीरो बने
रजनीकांत ने तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री में एंट्री बालचंद्र की फ़िल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से मारी थी. इस फ़िल्म में कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं.हालांकि उनके अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से हुई थी. शुरुआत में फिल्मों में उन्होंने कई नकारात्मक किरदारों का अभिनय किया. फिर नायक के रूप में एसपी मुथुरमन की फ़िल्म भुवन ओरु केल्विकुरी में दिखे थे.बिल्ला फ़िल्म से वो दक्षिण भारत में सुपरस्टार बन गए. फिर ये ताज उनके पास बरकरार रहा.
80 का दशक आते आते रजनीकांत दक्षिण भारत की फिल्मों में ऐसा औरा गढ़ चुके थे कि माना जाने लगा था कि वह मानव नहीं बल्कि महामानव हैं. उनकी फिल्में सुपर हिट हो रही थीं. बॉक्स आफिस पर रिकार्ड तोड़ रही थीं.
शादी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं
उनके शादी की कहानी भी कोई कम दिलचस्प नहीं. एक कॉलेज की उस लड़की उनका इंटरव्यू करना चाहती थी. रजनीकांत ने कई बार मना कर दिया. खैर जब वो तैयार हुए तो इंटरव्यू के लिए आई लड़की को देखते ही रह गए.
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वो रजनीकांत जिसके ऊपर लड़कियां जान छिड़कतीं थीं, जो साउथ सिनेमा का सुपरस्टार था, वो सवालों के जवाब देते हुए उस लड़की की ओर आकर्षित होता जा रहा था. ये अजीब सी स्थिति थी. उन्हें लगने लगा कि यही वो लड़की है, जिसकी उनको तलाश थी.
इंटरव्यू खत्म होते होते ही उन्होंने शादी का प्रस्ताव रख ही दिया. लड़की हैरान. शर्माई. ये कहते हुए गई, ये फैसला तो पैरेंट्स ही करेंगे. इसके बाद लार्जर देन लाइफ और ब्लाक बस्टर हीरो अजीब नर्वसनेस का शिकार हो गया.
वो लड़की लता थीं, जिसके लिए बेचैन हो गए रजनीकांत
ये वर्ष 80 की बात है. उसी दौरान चेन्नई के एथिराज कॉलेज की मैगजीन के लिए रजनीकांत का इंटरव्यू प्लान किया गया. इसका जिम्मा् दिया गया इंग्लिश लिटरेचर की छात्रा लता रंगाचारी को. लता को रजनी का समय आसानी से नहीं मिला. इसके लिए उन्हें टॉलीवुड के अपने संपर्कों का इस्तेमाल करना पड़ा. आखिरकार काफी टालमटोल के बाद रजनी ने इंटरव्यू देने का समय दिया.
हालांकि इस इंटरव्यू के बाद उनकी बात लता से होनी शुरू हो गई. रजनी की बेचैनी थी कि वो आखिर कैसे लता के मां-बाप को राजी करें. इसके लिए फिल्म इंडस्ट्री के सीनियर्स की मदद ली. जब लता के पेरेंट्स की मंजूरी मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
तिरुपति मंदिर में शादी
शादी 26 फरवरी 1981 में तिरुपति में भगवान बालाजी के मंदिर में हुई. शादी के तीन सालों के भीतर ही उनकी दो बेटियां हुईं. शादी के बाद रजनी के सितारे और चढ़ते चले गए. उनका कद इतना बढ़ गया कि उनकी फिल्में देखने वालों को अब लगता है कि रजनीकांत जैसे माचो के लिए कुछ भी संभव है. वह एक मुक्के से लाखों विलेन को मार सकते हैं.
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शादी के बाद सिल्क स्मिता से अफेयर की चर्चा
हालांकि शादी के बाद साउथ के इस ब्लाकबस्टर सुपरस्टार के अफेयर के किस्से कई हीरोइनों के साथ मशहूर हुए. उसमें सबसे अधिक चर्चा चली ‘सेक्स बम’ कही जाने वाली सिल्क स्मिता के साथ. इससे एकबारगी उनकी शादी ही खतरे में दिखने लगी. ये भी कहा जाता है कि कुछ साल पहले बॉलीवुड में डर्टी पिक्चर के नाम से जो मूवी सिल्क स्मिता पर बनी, उसमें नसीरुद्दीन शाह ने जो रोल किया था, वो मुख्य तौर पर रजनीकांत पर ही आधारित था.
रजनीकांत पर कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. इन्हीं में एक गायत्री श्रीकांत की है. किताब का नाम है ‘द नेम इन रजनीकांत’. किताब में वह लिखती हैं कि किस तरह सिल्क स्मिता से उनकी करीबी की चर्चाएं 80 के दशक के आखिर तक होने लगी थीं. सिल्क स्मिता उन दिनों दक्षिण में रजनीकांत, कमल हासन और चिरंजीवी से कम लोकप्रिय नहीं थीं.
कुछ भी असंभव नहीं
दुनिया का कोई ऐसा काम नहीं, जो रजनी जैसे इस सुपरस्टार के लिए असंभव हो. हालांकि रजनी अपने वास्तविक जीवन में निहायत साधारण इंसान हैं. अपने समर्थकों की लंबे समय से मांग देखते हुए अब उन्होंने सियासत में पार्टी बनाकर कूदने की जब घोषणा कर दी है तो ये भी तय है कि वह तमिलनाडु की राजनीति में वाकई बदलाव लाने वाले साबित हो सकते हैं.
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